रिश्तेदार .......
आज के दिन प्रदत्त विषय 'रिश्तेदार ' पर प्रतियोगिता हेतु:
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............................ रिश्तेदार ............................
परिवार,रिश्तेदार हों अपने तो मानव समर्थ कहलाता है,
धन ही नहीं यथेष्ठ मनुष्य का जो सम्बल बन जाता है।
हर किसी का परिवार भी होता परन्तु क्या कोई अपना बना पाया,
उसके हर सुख-दुख मे जा कर क्या कोई शिरक़त कर पाया।
प्रथम प्राथमिकता हो रिश्तों की तब वो अपने होते हैं,
नहीं तो क्या बहाने ढ़ूंढ़ना सिर्फ हमको ही आते हैं।
उपेक्षा से तो भाई-बहिन भी अपनत्व भुलाया करते हैं,
धन से अधिक रिश्तों को महत्व क्यों न दिया करते हैं।
कुछ रिश्ते तो जन्म से ही ईश्वर प्रदत्त मिल जाते हैं,
और कुछ ऐसे होते जो हम ईश कृपा से पाते हैं।
ईश-कृपा से जो मिलते हैं मित्र वो कहलाते हैं,
कभी कभी परिवार से ज्यादा सहायक वे बन जाते हैं।
अपने सभी रिश्ते नातों को ससम्मान प्रश्रय देना,
रिश्ते तो बन ही जाते हैं, मुश्किल होता निर्वाह करना।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
08-Feb-2023 09:14 PM
बहुत खूब
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Punam verma
08-Feb-2023 08:54 AM
Very nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Feb-2023 08:24 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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